कुछ अनसुनी बात और जानकरी

प्रश्न =; 
उत्तर =; 
बात विज्ञान की-

पहले वो नियम समझ लेते हैं, जिसके आधार पर मैं आत्मा के प्राचीन तथा सर्वाधिक प्रसिद्ध दावे को विज्ञान से जोड़ने वाला हूँ।

एक भौतिकी विज्ञानी ने थ्योरी दी थी, जिसे No Hiding थ्योरम कहा जाता है। इसके अनुसार—

किसी भी प्रक्रिया में ज्ञान की हानि या सूचनाओं की हानि होने पर सूचनाएं पूर्णतः नष्ट नहीं होती। वह किसी भी वह किसी अलग उप जगह (सबस्पेस) में स्थानांतरित हो जाती हैं। और ऐसी कोई तकनीक नही है जिससे इन दोनों के बीच इस रिश्ते को ख़त्म किया जा सके।

हालांकि ये थ्योरी अभी प्रारंभिक अवस्था मे ही है, पर गणितीय रूप से सिद्ध है।

यदि सूचना जहां पहले स्टोर थी उसे सिस्टम माने तथा जहां अब स्टोर है उसे सबस्पेस माने तो क्वांटम फिजिक्स के नो हाइडिंग नियंम के अनुसार कोई भी बाधा इन दोनों के बीच रिश्ते को नहीं छुपा सकती। मतलब हम कभी ना कभी यह जान ही जाएंगे की यह गुमी हुई सूचना कहां स्टोर है।

इसे यूं समझ सकते हैं कि जैसे कभी गलती से आपका मोबाइल का डाटा फॉरमैट होता है, तो भी हम उसे किसी विशेष तकनीक से पुनः प्राप्त कर सकते हैं। (मुझे पता है ये उदाहरण गलत है, पर सामान्य लोगो के लिए इससे बेहतर उदाहरण नही हो सकता)

अब बात आत्मा की।

हिंदू धर्म तथा अन्य कई धर्मों में आत्मा के अस्तित्व पर मोहर लगाई गई है।

हम लोग यह मानते हैं कि व्यक्ति के मरने के बाद उसके शरीर से उसकी आत्मा निकल जाती है। यह आत्मा अपने कर्म के हिसाब से स्वर्ग या नर्क में जाती है। जहां उसे कर्म फल की प्राप्ति होती है।

तो अगर मैं इस बात को और नो हाइडिंग थ्योरी को आपस में जोड़ूंगा तो यह बात और साफ हो जाएगी।

अब दोनों चीज़ों को एक साथ देखना-

No Hiding Theory में सूचना को यदि आत्मा की संज्ञा दें, तो ये थ्योरी दोनों बातों को संतुष्ट करती है, विज्ञान की थ्योरी को भी और धर्म के दावे को भी।

ऊपर बताई गई थ्योरी में अगर हम सूचना को आत्मा से बदल दें तो क्या होगा?

हम बदल दें तो हम कह सकते हैं कि कई बातें एक जैसी हैं उस सूचना तथा इस आत्मा में।

आत्मा भी सूचना की तरह नष्ट नहीं होती।

यह सूचना भी प्रक्रिया खत्म होने के बाद(मृत्यु के बाद) किसी सबस्पेस में चली जाती है, ठीक उसी तरह जिस तरह धर्म में शरीर से आत्मा निकलने के बाद उसे परलोक में जाना बताया गया है।

जिस प्रकार No Hiding Theory में यह बताया गया है की सूचना तथा सबस्पेस और स्त्रोत आपस में जुड़े रहते हैं, वैसे ही धर्म में बताया गया है की आत्मा की अपने मृत शरीर के प्रति आसक्ति बनी रहती है।

इसलिए ही हिंदू धर्म में मृतक शरीर को अग्नि को समर्पित कर देने की बात कही है, तथा दूसरे धर्म में मुर्दे को पाक जगह देने की बात कही है।

संक्षेप में कहें तो यह दोनों थ्योरी मुझे एक दूसरे की पूरक लग रही है, वह दिन भी दूर नहीं जब कोई वैज्ञानिक इस पर रिसर्च पेपर पब्लिश कर देगा।

यह विचार पूर्णतः मेरे हैं।

हो सकता है यह गणितीय रूप से सिद्ध न किए जा सके पर हां यह एक नई बहस को जन्म दे सकते हैं।

कुछ तो कनेक्शन है, धार्मिक ग्रंथों की बातों तथा क्वांटम भौतिकी में।

मेरा मानना ये है कि, No Hiding Theory में जिस सूचना(इनफार्मेशन) की बात की गई है, वो कुछ और नही बल्कि आत्मा ही है। क्योंकि उस थ्योरी में सूचना के स्थान पर यदि आत्मा रख दें, तो भी धर्म के ग्रंथों के हिसाब से ये बातें सत्य प्रतीत होती हैं।

✍️सत्यम् चौरसिया (Satyam Chourasiya)

प्रश्न =; आग की लपटें हमेशा ऊपर ही क्यों जाती है क्या उसमें गुरुत्वाकर्षण बल नहीं लगता?

उत्तर =; 

सवाल जितना पेचीदा है उससे भी आसान इसका उत्तर देना है वास्तविकता में अगर आप डेंसिटी मास और वॉल्यूम के बारे में जानते हैं तो आप इसका उत्तर आसानी से पा सकते हैं एक पानी की बाल्टी में एक बार आप कोई प्लास्टिक की बॉल डालो वह ऊपर आ जाएगी और एक पत्थर डालो तो वह नीचे ही रहेगा इसका कारण यही है जो पत्थर है उसकी डेंसिटी ज्यादा है उसका मांस ज्यादा है इसलिए ग्रेविटी ज्यादा काम करती है और जो प्लास्टिक की बॉल है उसकी डेंसिटी कम है और वह कम होने के कारण पानी के ऊपर आ जाती है।

उसी प्रकार जो गर्म हवा रहती है उसकी डेंसिटी कम रहती है तो वह हवा में ऊपर जाने की कोशिश करती हैं और जिसके डेंसिटी ज्यादा रहती है वह गैसेस नीचे आती है। हमारे यहां एटमॉस्फेयर यानी कि वायुमंडल में बहुत सारी गैस भरी रहती हैं और जिस केस का वेट ज्यादा होगा उस पर ग्रेविटी ज्यादा काम करेगी और जिस पर ग्रेविटी ज्यादा काम करेगी वह गैस पृथ्वी के टच में रहेगी अर्थात नीचे की तरफ रहेगी। जो गेस हल्की रहेगी उस गैस पर ग्रेविटी कम काम करेगी क्योंकि उसका मांस कम रहेगा और मांस कम रहेगा ग्रेविटी कम काम करेगी।जब टेंपरेचर बढ़ता है वायु में ऑक्सीजन है उसके जलने पर उसका टेंपरेचर इनक्रीस होने पर उसका जो वॉल्यूम है बढ़ता है और वॉल्यूम के बढ़ने पर डेंसिटी कम होती है, डेंसिटी के कम होने पर ग्रेविटी कम काम करने लगती है। क्योंकि जिसका डेंसिटी कम होता है उसका मांस कम होता है और जिसका मांस कम होता है उस पर गुरुत्वाकर्षण बल कम काम करता है। डेंसिटी कम हुई तो यह माचिस की आग ऊपर की तरफ जाएगी क्योंकि इससे कहीं ज्यादा डेंसिटी वाली गैस नीचे की तरफ है इसलिए नीचे ऊपर की तरफ जाएगी।

तस्वीर - नेट से ली गयी।


Comments