जानें ब्रह्मा जी के एक दिन में प्रथ्वी के कितने वर्ष होते है? | jaane brahma ji ke ek din me prathvi ke kitne varsh hote hai

एक कल्प कितने वर्ष का होता है, ब्रह्मा का 1 दिन कितने वर्ष का होता है?, ब्रह्म का एक दिन कितने वर्ष का होता है?, ब्रह्मा जी की आयु कितनी है?  क्या आप भी इस प्रकार अध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं तो आप हमारा ब्लॉग पढ़ें | 

एक कल्प में कितने दिन होते हैं?/ ब्रह्मा जी की आयु कितनी है? 
वेदो के अनुसार

एक युग = 1 × 432000 = 432000 दिन = कलयुग

2 × 432000=864000 दिन = द्वापर

3 × 432000=1296000 दिन = त्रेता

4 × 432000=1728000 दिन = सतयुग

सब मिलकर = एक दिव्य युग बनता है |

71 दिव्य युग = एक मनवान्तर= बृह्मा का एक दिन = कल्प

ब्रह्माण्ड के एक दिन में पृथ्वी के कितने दिन होते हैं?

ब्रह्मा का 1 दिन कितने वर्ष का होता है
ब्रह्मा जी की आयु कितनी है
काल गणना के प्रतीक ब्रह्मा जी एक दिन : 4अरब 32 करोड़ मानव वर्ष का एक कल्प, ऐसे दो कल्पों को मिला कर ब्रह्माजी का एक दिन बनता है, इसी तरह जोड़ते जाएं तो एक ब्रह्मा की आयु 100 ब्रह्मा वर्ष होती है।प्रत्येक ब्रह्माण्ड का एक ब्रह्मा होता। अनंत ब्रह्माण्ड हैं अनंत ब्रह्मा हैं।
ब्रह्मा का 1 दिन कितने वर्ष का होता है?
 अनंत ब्रह्माण्ड हैं अनंत ब्रह्मा हैं।

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·   ब्रह्माण्ड के एक दिन में पृथ्वी के कितने दिन होते हैं ?


पहला उत्तर आधुनिक विज्ञानं पर आधारित है|

 1 ब्रह्माण्ड या cosmos एक भौतिक इकाई है जिसकी संरचना इसकी व्याख्या इसके ज्यामितीय मॉडल पर निर्भर है। आइए इसे समझते हैं

 यदि ये क्लोज्ड मॉडल है अर्थात एक बंद गोले की तरह या बंद गेंद की तरह है तो प्रकाश वृत्त में घूम कर वापस आएगा तब तो काल गणना हो सकेगी, इसमें नॉन यूक्लिड ज्यामिती लगेगी । पर यदि ये ओपन ट्रैजेक्टरी का ब्रह्मांड है अर्थात समझने के लिए ऐसा मानें कि अनंत दूरी तक फैली चादर जैसा है तो प्रकाश अनंतदूरी तक चला जाएगा और तब काल गणना नहीं हो सकेगी इसमें यूक्लिड की ज्यामिति लगेगी ।

·         दूसरी बात: ब्रह्माण्ड अभीतक जितना देखा जा सका उसमें कहीं से भी देखें एक समान दिखता है।

·         2 —दिन इत्यादि की काल गणना पदार्थ के सापेक्ष होती है।अर्थात यदि अपने ब्रह्माण्ड को गणना करना है तो हम जहां हैं अर्थात पृथ्वी के सापेक्ष गणना करनी होगी और पृथ्वी के सूर्य सापेक्ष वार्षिक भ्रमण को एक यूनिट मानना होगा ।

·         बहुत से विद्वान ऐसा सोचते हैं कि ब्रह्मांड तो घूम नहीं रहा या हमें पृथ्वी की तरह घूमता नही दिख रहा तो उसकी काल गणना कैसे होगी ? पर भारतीय ब्रह्मांड विज्ञान ने पृथ्वी के वार्षिक भ्रमण को ही एक लघु इकाई माना है और इसी के आधार पर पृथ्वी सहित ब्रह्मांड के अस्तित्व में आने और विघटित होने की धारणाएं प्रस्तुत की हैं आधुनिक कास्मोलाजी भी ब्रह्मांड की आयु की गणना के लिए पृथ्वी वर्ष को ही एक लघु इकाई मानती है ।

·         * वापस पदार्थ के सापेक्ष काल गणना पर लौटें तो फिर से यही कहना है कि काल गणना के लिए हमारे सामने तुलना करने के लिए सापेक्ष में पदार्थ होना चाहिए । इस बात को George दार्शनिक Berkeley और जर्मन भौतिक वैज्ञानिक मैक्स प्लांक (Max Planck)  ने बहुत अच्छे से एक उदाहरण से समझाया है कि यदि पदार्थ न ही तो समय या काल गणना भी लुप्त हो जाएगी ।

·         उन्होंने कहा कि बच्चों के पार्क में लगी घूमती चक्री के घूमने पर चक्री घूमती हुई इसलिए दिखती है कि उसकी गति और स्थिति में परिवर्तन की पहचान हम उसके चारों तरफ स्थित पेड़ भवन के रूप में स्थित पदार्थ के माध्यम से कर पाते हैं । यदि चारों ओर किसी भी तरह का कोई पदार्थ इत्यादि नही हो तो चक्री पर बैठे व्यक्ति को पता ही नहीं चलेगा कि चक्री घूम रही है या स्थिर है ,ऐसी स्थिति में पदार्थ न होने पर उसे समय का भी बोध नहीं होगा। यह बात अधिकतर लोगों की समझ में नहीं आई थी पर आइंस्टीन ने इस सिद्धांत से प्रेरणा ली थी।

·         इसी वैज्ञानिक बात को श्रीमद भागवत तृतीय स्कंध अ10, श्लोक11 में तो बहुत स्पष्ट ढंग से कहा गया है कि काल अव्यक्त है यह पदार्थ सापेक्ष ही व्यक्त होता है। पदार्थ की आकृति रंग रूप संख्या इत्यादि में रद्दोबदल से ही अर्थात पदार्थ के रूपांतरण से ही काल बोध होता है (गुण व्यतिरेकातो निर्विशेष…कालेन अव्यक्त मूर्तिना kaal appears manifested due to differentiation in attributes of matter , otherwise Kaal remains unmanifested )

·         उदाहरण के लिए जैसे लाल कोंपल का हरा फिर पीला होना, बच्चे का बड़ा होना सूरज का पूरब से पश्चिम को जाना इत्यादि ऐसे परिवर्तन हैं जिनसे हम रोज काल को मापते हैं इस लिए इस प्रश्न का उत्तर यही है कि ब्रह्माण्ड के कथित “दिन” जानने के लिए हमारे ब्रह्माण्ड के इर्द गिर्द पदार्थ को हम जानते हों जिसके रूपांतरण से हम अपने ब्रह्माण्ड के ‘दिन’ की गणना जान सकेंगे। इसके लिए हमने पृथ्वी के दिनरात और वर्ष को चुना है जो पदार्थ के रूपांतरण पर ही आधारित है

·         अभी तो हम अपने ब्रह्माण्ड को ही नहीं जानते तो इसके एब्सोल्यूट या निरपेक्ष दिन को कैसे जान सकते हैं? इसके लिए तो हमें आरंभ में पृथ्वी के दिन का ही सहारा लेना पड़ेगा । जब हम किसी अन्य ब्रह्मांड में होंगे तो भी हम उस दूसरे ब्रह्मांड के सापेक्ष ही अपने ब्रह्मांड को जान सकेंगे।

·         [ वैसे एक ब्रह्मांड के सापेक्ष दूसरे ब्रह्मांड के समय में बहुत अंतर होता है इसका विवरण भी श्रीमद्भागवत में हैं कि जब पृथ्वी से राजा अपनी पुत्री रेवती को साथलेकर लिए योग्य वर पूँछने ब्रह्म लोक गए तो वहाँ गायन वादन चल रहा था इसे देख वह कुछ क्षण वहाँ रुके । जब उन्होंने ब्रह्मा से अपनी समस्या बताई तो ब्रह्मा ने हँस कर कहा , राजन आप यहाँ के अनुसार तो केवल कुछ क्षण ही रुके हैं पर इस बीच तो पृथ्वी पर कई चतुर्युग बीतगए आपके कुल वंश का तो पृथ्वी पर पता ही नहीं अब वहाँ तो कलियुग आरंभ हो गया है , वहाँ बलराम जी आपकी बेटी के योग्य वर होंगे ]

·         तो ब्रह्मांड के समय की गणना के लिए हमने एक काल्पनिक इकाई को चुना है जिसे ब्रह्मा कहा गया है । ब्रह्मा जी के एक दिन को कल्प कहते हैं ।इस दिन की अवधि में ब्रह्मा जी अपने ब्रह्मांड की रचना करते हैं एक कल्प की अवधि 4 अरब 32 करोड़ मानव वर्ष है. ऐसे ही इतनी ही अवधि की ब्रह्मा जी की रात होती है इस रात की अवधि में ब्रह्मा जी सृष्टि को समेटते हैं अर्थात इतनी अवधि तक प्रलय चलता रहता है । इस प्रकार दो कल्प को मिला कर अर्थात कुल 8 अरब 64 करोड़ मानव वर्ष का ब्रह्मा का एक दिन रात या अहोरात्र day and night होता है। ब्रह्मा का यहाँ अर्थ काल की इकाई से है

·         इसकी गणना इस प्रकार है कि ,सत्य,त्रेता द्वापर कलि इन 4 युगों के एक महायुग का मान 43,32,000 मानव वर्ष है। ऐसे 1000 महायुग का अर्थात 4 अरब 32 करोड़ वर्ष का एक कल्प होता है।गणित और भी है।… पर अभी इतना ही। (सूर्य सिद्धान्त, मध्यमाधिकार श्लोक 15 से 24 )

निष्कर्ष : प्रश्न है कि ब्रह्मांड के एक दिन में कितने पृथ्वी दिन होते हैं - इसका उत्तर है कि ब्रह्मांड के एक दिन में दो कल्प के बराबर अर्थात कुल 8 अरब 64 करोड़ मानव वर्ष की अवधि के बराबर दिन होते हैं । यह भी कह सकते हैं कि ब्रह्मांड का एक दिन इसके अधिष्ठाता ब्रह्मा के एक दिन रात या अहोरात्र day and night के बराबर होता है

·         क्या ये हिन्दू या सनातन धर्म की काल गणना ठीक है ?

·         यहाँ यह बताना उचित होगा कि वैज्ञानिक Carl Sagan ने, जो कि मंगलग्रह पर उतारे गए Viking space craft टीम के सदस्य हैं और उन्होंने अपनी पुस्तक COSMOS में तथा इसी नाम के t v serial के एक अंक में "हिन्दू कॉस्मोलॉजी" दी है,उन्होंने इस भारतीय काल गणना को शुद्ध गणना बताया है: "…as far as i know it is the only religion on earth which talks about the right time scale." वह कहते हैं कि हिन्दू ब्रह्माण्ड विज्ञान की दृष्टि अद्भुत है जो विश्व के इतिहास में सबसे पहले पृथ्वी का और इस विश्व का दोनों का टाइम स्केल देती है।

·         विद्वान पाठकों के उत्तर की प्रतीक्षा रहेगी

 

Comments

  1. NIce Blog....awesome content
    एक कल्प कितने वर्ष का होता है,
    एक कल्प कितने वर्ष का होता है

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  2. एक कल्प कितने वर्ष का होता है, ब्रह्मा का 1 दिन कितने वर्ष का होता है?, ब्रह्म का एक दिन कितने वर्ष का होता है?, ब्रह्मा जी की आयु कितनी है? क्या आप भी इस प्रकार अध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर जानना चाहते हैं| तो आप इस ब्लॉग को जरुर पढ़ना |

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    1. Dear reader,
      Thank you for read my blog.
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