Life Changing Stories for Students
क्या आप अपने आप को motivational quotes और motivational stories पढकर motivate या प्रेरित करना चाहते हैं.तो आप हमारे blog पर इस प्रकार के Smart quotes और stories पढ़ सकते हैं. जो आपको कुछ अच्छा ज्ञान देकर, अपने जीवन में आगे बढने या कुछ अच्छा कार्य करने के लिए हमेशा प्रेरित करती रहेंगी.
क्या करें गुस्सा या प्यार
यह कहानी संत के ज्ञान को
दर्शाने वाली कथा है क्युकि हमेशा ही ये माना जाता है की संत, गुरु, साधू और मुनि महाराज के
पास उन सभी सांसारिक... समस्याओ का तुरंत हल मिल जाता है जिसके बारे में आज लोग और
गृहस्थी हमेशा से ही परेशान रहते है |
समाज में साधू,संत,गुरु और मुनि ही हर
समस्या की एक मात्र चाबी माने जाते रहे है और यह सही भी है की इनके पास जाने मात्र
से ही हमारे मन को शांति प्राप्त हो जाती है और फिर जब इनके दो सांत्वना भरे बोल
या ज्ञान बढ़ाने वाले शब्द जब हमारे कान में जाते है तो जेसे अन्दर तक आत्मा को
ठंडक पहुंचती हैl
इसलिए आज एक ऐसी ही कहानी
लेकर आया हूँ जिससे आप गुरु की महिमा को समझ ही जायेंगे की क्यों और कैसे ये सभी
विद्धवान जन तुरंत ही हरेक के मन की समस्या का समाधान कर देते है।
एक बार गोमल सेठ अपनी
दुकान पर बेठे थे दोपहर का समय था इसलिए कोई ग्राहक भी नहीं था तो वो थोडा
सुस्ताने लगे इतने में ही एक संत भिक्षुक भिक्षा लेने के लिए दुकान पर आ पहुचे।
और सेठ जी को आवाज लगाई
कुछ देने के लिए...
सेठजी ने देखा कि इस समय
कौन आया है ?
जब उठकर देखा तो एक संत
याचना कर रहा था।
सेठ बड़ा ही दयालु था वह
तुरंत उठा और दान देने के लिए कटोरी चावल बोरी में से निकाला और संत के पास आकर
उनको चावल दे दिया।
संत ने सेठ जी को बहुत
बहुत आशीर्वाद और दुवाए दी।
तब सेठजी ने संत से हाथ
जोड़कर बड़े ही विनम्र भाव से कहा कि
हे गुरुजन आपको मेरा प्रणाम मैं आपसे अपने मन में
उठी शंका का समाधान पूछना चाहता हूँ।
संत ने कहा की जरुर पूछो
-
तब सेठ जी ने कहा की लोग
आपस में लड़ते क्यों है ?
संत ने सेठजी के इतना
पूछते ही शांत स्वभाव और वाणी में कहा की
सेठ मै तुम्हारे पास
भिक्षा लेने के लिए आया हूँ तुम्हारे इस प्रकार के मूर्खता पूर्वक सवालो के जवाब
देने नहीं आया हूँ।
संत के मुख से इतना सुनते
ही सेठ जी को क्रोध आ गया और मन में सोचने लगे की यह कैसा घमंडी और असभ्य संत है ?
ये तो बड़ा ही कृतघ्न है
एक तरफ मैंने इनको दान दिया और ये मेरे को ही इस प्रकार की बात बोल रहे है इनकी
इतनी हिम्मत
और ये सोच कर सेठजी को
बहुत ही गुस्सा आ गया और वो काफी देर तक उस संत को खरी खोटी सुनाते रहे
और जब अपने मन की पूरी
भड़ास निकाल चुके
तब कुछ शांत हुए तब संत
ने बड़े ही शांत और स्थिर भाव से कहा की
जैसे ही मैंने कुछ बोला
आपको गुस्सा आ गया और आप गुस्से से भर गए और लगे जोर जोर से बोलने और चिल्लाने
लगे।
वास्तव में केवल
विवेकहीनता ही सभी झगडे का मूल होता है यदि सभी लोग विवेकी हो जाये तो अपने गुस्से
पर काबू रख सकेंगे या हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना सीख जाये तो दुनिया में झगडे
ही कभी न होंगे !!!
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सही विचार बनाए सही जिंगदी
एक राजा था, उसके कोई पुत्र नहीं था।
राजा बहुत दिनों से पुत्र की प्राप्ति के लिए आशा लगाए बैठा था, लेकिन पुत्र की प्राप्ति
नहीं हुई, उसके सलाहकारों
ने, तांत्रिकों से
सहयोग लेने को कहा। तांत्रिकों की तरफ से राजा को सुझाव मिला कि यदि किसी बच्चे की
बलि दे दी जाए, तो राजा को पुत्र
की प्राप्ति हो सकती है।
राजा ने राज्य में
ढिंढोरा पिटवाया कि जो अपना बच्चा बलि चढाने के लिये राजा को देगा, उसे राजा की तरफ से, बहुत सारा धन दिया जाएगा।
एक परिवार में कई बच्चे थे,
गरीबी भी बहुत
थी। एक ऐसा बच्चा भी था, जो ईश्वर पर
आस्था रखता था तथा सन्तों के सत्संग में अधिक समय देता था। राजा की मुनादी सुनकर
परिवार को लगा कि क्यों ना इसे राजा को दे दिया जाए ? क्योंकि ये निकम्मा है, कुछ काम -धाम भी नहीं
करता है और हमारे किसी काम का भी नहीं है और इसे देने पर राजा प्रसन्न होकर हमें
बहुत सारा धन देगा।
ऐसा ही किया गया, बच्चा राजा को दे दिया
गया। राजा ने बच्चे के बदले उसके परिवार को काफी धन दिया। राजा के तांत्रिकों
द्वारा बच्चे की बलि देने की तैयारी हो गई।
राजा को भी बुला लिया गया, बच्चे से पूछा गया कि
तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है ? ये बात राजा ने बच्चे से पूछी और तांत्रिकों ने भी पूछी।
बच्चे ने कहा कि, मेरे लिए रेत मँगा दी जाए, राजा ने कहा, बच्चे की इच्छा पूरी की
जाये । अतः रेत मंगाया गया। बच्चे ने रेत से चार ढेर बनाए, एक-एक करके बच्चे ने तीन
रेत के ढेरों को तोड़ दिया और चौथे के सामने हाथ जोड़कर बैठ गया और उसने राजा से
कहा कि अब जो करना है आप लोग कर लें। यह सब देखकर तांत्रिक डर गए और उन्होंने बच्चे से पूछा पहले तुम यह बताओ कि
ये तुमने क्या किया है?
राजा ने भी यही सवाल बच्चे से पूछा । तो बच्चे
ने कहा कि पहली ढेरी मेरे माता-पिता की थी। मेरी रक्षा करना उनका कर्त्तव्य था ।
परंतु उन्होंने अपने कर्त्तव्य का पालन न करके, पैसे के लिए मुझे बेच दिया, इसलिए मैंने ये ढेरी तोड़ी दी। दूसरी ढ़ेरी मेरे सगे-सम्बन्धियों की थी, परंतु उन्होंने भी मेरे
माता-पिता को नहीं समझाया। अतः मैंने दूसरी ढ़ेरी को भी तोड़ दिया और तीसरी ढ़ेरी, हे राजन आपकी थी क्योंकि
राज्य की प्रजा की रक्षा करना राजा का ही धर्म होता है, परन्तु जब राजा ही मेरी
बलि देना चाह रहा है तो ये ढेरी भी मैंने तोड़ दी। और चौथी ढ़ेरी, हे राजन मेरे ईश्वर की
है। अब सिर्फ और सिर्फ अपने ईश्वर पर ही मुझे भरोसा है। इसलिए यह एक ढेरी मैंने
छोड़ दी है।
बच्चे का उत्तर सुनकर
राजा अंदर तक हिल गया। उसने सोचा कि पता नहीं बच्चे की बलि देने के पश्चात भी
पुत्र की प्राप्ति होगी भी या नहीं होगी। इसलिये क्यों न इस बच्चे को ही अपना
पुत्र बना लिया जाये?
इतना समझदार और
ईश्वर-भक्त -बच्चा है । इससे अच्छा बच्चा और कहाँ मिलेगा ? काफी सोच विचार के बाद
राजा ने उस बच्चे को अपना पुत्र बना लिया और राजकुमार घोषित कर दिया।
जो व्यक्ति ईश्वर पर
विश्वास रखते हैं,उनका कोई बाल भी
बाँका नहीं कर सकता, यह एक अटल सत्य
है। जो मनुष्य हर मुश्किल में, केवल और केवल ईश्वर का ही आसरा रखते हैं, उनका कहीं से भी किसी भी
प्रकार का कोई अहित नहीं हो सकता। संसार में सभी रिश्ते झूठे हैं। केवल और केवल एक
प्रभु का नाम ही सत्य है।
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